धर्म का सम्मान! मोहम्मद शमी ने टीम इंडिया के शैम्पेन सेलिब्रेशन से बनाई दूरी
परिचय भारतीय क्रिकेट टीम इंडिया ने दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। फाइनल में टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को 4 विकेट से हराया और 12 साल बाद फिर से चैंपियंस ट्रॉफी की विजेता बनी। इस ऐतिहासिक जीत के बाद मैदान पर जश्न का माहौल देखने लायक था। विराट कोहली द्वारा मोहम्मद शमी की मां के पैर छूना, अनुष्का शर्मा और रोहित शर्मा का गले मिलना, ऋषभ पंत का रवींद्र जडेजा की बेटी के साथ खेलना – ये सभी यादगार पल क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में बस गए।
टीम इंडिया का जश्न और मोहम्मद शमी का फैसला
जीत की खुशी में टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने ट्रॉफी के साथ जश्न मनाया, लेकिन इस सेलिब्रेशन में एक खास चीज ने सभी का ध्यान खींचा। जब आईसीसी चेयरमैन जय शाह ने कप्तान रोहित शर्मा को ट्रॉफी सौंपी, तो पूरी टीम स्टेज पर इकट्ठा हो गई और जीत का जश्न मनाने के लिए शैम्पेन उड़ाई गई। इसी दौरान भारतीय टीम के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी थोड़ा पीछे हट गए और इस सेलिब्रेशन से दूरी बनाए रखी।
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टीम इंडिया: शमी का धर्म के प्रति सम्मान
मोहम्मद शमी के इस कदम ने पूरे देश में उनकी सराहना कराई। रमजान के पाक महीने में उन्होंने अपने धर्म के नियमों का पालन करते हुए शैम्पेन सेलिब्रेशन से दूरी बनाई। रोचक बात यह रही कि टीम इंडिया के किसी भी अन्य खिलाड़ी ने शमी पर शैम्पेन नहीं उड़ाई, जिससे यह साफ जाहिर हुआ कि भारतीय टीम न केवल खेल भावना को महत्व देती है, बल्कि एक-दूसरे के धर्म और विश्वास का भी पूरा सम्मान करती है।
टीम इंडिया धर्म और क्रिकेट: एक मजबूत रिश्ता
भारत में क्रिकेट टीम इंडिया सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जज़्बा है। यह खेल हर धर्म, जाति और समुदाय को एक साथ जोड़ता है। मोहम्मद शमी का इस सेलिब्रेशन से अलग होना यह दिखाता है कि भारतीय टीम में सभी खिलाड़ी एक-दूसरे की आस्थाओं और परंपराओं का सम्मान करते हैं। यह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब और एकता की सबसे बड़ी मिसाल है।
पहले भी खिलाड़ी कर चुके हैं ऐसा
ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब किसी खिलाड़ी ने धार्मिक मान्यताओं के चलते शैम्पेन सेलिब्रेशन से दूरी बनाई हो। इससे पहले, ऑस्ट्रेलिया के उस्मान ख्वाजा भी ऐसा कर चुके हैं। फुटबॉल में भी कई मुस्लिम खिलाड़ी शैम्पेन सेलिब्रेशन से बचते रहे हैं। यह दर्शाता है कि दुनिया भर में खिलाड़ी अपने धार्मिक विश्वासों के प्रति जागरूक रहते हैं और खेल के दौरान भी उनका पालन करते हैं।
शमी के फैसले पर सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर मोहम्मद शमी के इस फैसले की जमकर सराहना की गई। क्रिकेट प्रेमियों और प्रशंसकों ने इसे धर्म और आपसी सम्मान का बेहतरीन उदाहरण बताया। कई लोगों ने ट्वीट कर लिखा कि शमी का यह कदम दिखाता है कि भारत की टीम कितनी विविधताओं से भरी हुई है और फिर भी सब एकजुट होकर खेलते हैं।
निष्कर्ष
मोहम्मद शमी ने यह साबित कर दिया कि खेल भावना के साथ-साथ धार्मिक आस्था और आपसी सम्मान भी महत्वपूर्ण होता है। भारतीय टीम का यह जश्न सिर्फ एक ट्रॉफी जीतने का नहीं था, बल्कि यह भारत की संस्कृति, एकता और सद्भाव का भी जश्न था। क्रिकेट मैदान पर इस तरह की घटनाएं हमें सिखाती हैं कि भले ही हम अलग-अलग पृष्ठभूमियों से आते हों, लेकिन हमारे दिलों में एक ही जज़्बा होना चाहिए – देश के लिए खेलना और एक-दूसरे का सम्मान करना। टीम इंडिया