जाने-माने Journalist Ajit Anjum एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका YouTube चैनल और उस पर चल रही एक विशेष रिपोर्टिंग सीरीज़, जो बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) पर आधारित है।
लेकिन अब यही रिपोर्टिंग विवादों में घिर गई है। बेगूसराय प्रशासन ने अजीत अंजुम पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लगाया है। हालांकि अजीत अंजुम ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए कहा है कि उनका मकसद सिर्फ सच्चाई सामने लाना है।
📌 Journalist Ajit Anjum विवाद: मुख्य बिंदु (Highlights)
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अजीत अंजुम पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप
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आरोप है कि उनकी रिपोर्टिंग ने एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया
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बेगूसराय के बलिया अनुमंडल से जुड़ा मामला
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अजीत ने FIR की स्क्रीनशॉट X (Twitter) पर साझा की
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प्रशासन ने कहा – “अगर कोई तनाव हुआ, तो ज़िम्मेदारी अंजुम की”
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BLO की शिकायत पर दर्ज हुई FIR
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अजीत अंजुम बोले – “सभी रिपोर्ट सही, चाहें तो Election Commission फैक्ट चेक करवा ले”
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रिपोर्ट पर कोई कानूनी कार्यवाही की स्पष्ट सूचना प्रशासन ने नहीं दी
🎤 कौन हैं Journalist Ajit Anjum?
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हिंदी पत्रकारिता के सबसे अनुभवी और साहसी नामों में एक
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कई बड़े हिंदी न्यूज़ चैनलों (News 24, India TV, Star News) के संपादक रहे
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अब स्वतंत्र पत्रकारिता (freelancing) कर रहे हैं
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अपने यूट्यूब चैनल पर ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए मशहूर
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बिहार के बेगूसराय जिले से ताल्लुक रखते हैं
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🕵️♂️ पूरा मामला क्या है?
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अजीत अंजुम और उनकी टीम ने बेगूसराय के बलिया अनुमंडल में कुछ लोगों का इंटरव्यू किया
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वीडियो की लंबाई: 45 मिनट 39 सेकंड
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आरोप: वीडियो एक समुदाय विशेष को टारगेट करता है, और इससे सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है
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FIR दर्ज की गई है Ballia Police Station में
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शिकायतकर्ता: BLO मोहम्मद असरारुल हक, जो साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र से हैं
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अजीत पर आरोप: उन्होंने गलत धारणा बनाई कि मुस्लिम वोटरों को परेशान किया जा रहा है
🔁 Journalist Ajit Anjum का जवाब:
“मेरे द्वारा की गई रिपोर्टिंग 100% सच्चाई पर आधारित है। चुनाव आयोग चाहे तो फैक्ट चेक कर ले। अगर मैंने कुछ गलत दिखाया हो तो प्रमाण प्रस्तुत करें।”
— Ajit Anjum on X (Twitter)
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एनडीए सरकार ने मुस्लिम BLO को मोहरा बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की साजिश रची है।
📺 Journalist Ajit Anjum के यूट्यूब चैनल की भूमिका
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अजीत का यूट्यूब चैनल पत्रकारिता की पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकलकर जमीनी सच्चाई दिखाने का दावा करता है
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हाल की सीरीज़ बिहार में SIR प्रक्रिया (Special Intensive Revision) में हो रहे कथित पक्षपात पर केंद्रित है
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प्रशासन को यह रिपोर्टिंग अशांति भड़काने वाली लगी, जबकि अंजुम का कहना है – “ये तो जनता की आवाज़ है”
🔍 कानूनी स्थिति
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FIR दर्ज, लेकिन प्रशासन किसी स्पष्ट कानूनी कार्रवाई की जानकारी नहीं दे रहा
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FIR में शामिल धाराएं – भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyay Samhita) व Representation of the People Act की धाराएं
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पुलिस और प्रशासन ने अभी तक इसपर सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है
❓ 10 FAQs: Journalist Ajit Anjum विवाद से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण सवाल
1️⃣ Journalist Ajit Anjum कौन हैं?
उत्तर:
अजीत अंजुम एक वरिष्ठ हिंदी पत्रकार हैं, जिन्होंने कई प्रमुख चैनलों में संपादक के रूप में काम किया है। फिलहाल वे स्वतंत्र पत्रकार हैं और यूट्यूब चैनल के ज़रिए ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हैं।
2️⃣ उनके खिलाफ FIR क्यों दर्ज हुई?
उत्तर:
बेगूसराय प्रशासन के अनुसार, अंजुम की एक रिपोर्ट ने एक विशेष समुदाय को टारगेट किया और संभावित सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा कर दी।
3️⃣ FIR किसने दर्ज करवाई?
उत्तर:
FIR मोहम्मद असरारुल हक नामक एक BLO (Booth Level Officer) ने साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र से करवाई।
4️⃣ क्या Journalist Ajit Anjum ने रिपोर्टिंग में कोई झूठी बात दिखाई थी?
उत्तर:
अजीत अंजुम ने दावा किया है कि उनकी रिपोर्ट पूरी तरह तथ्य आधारित है और उन्होंने Election Commission को खुलेआम चुनौती दी है कि वे फैक्ट चेक करवाएं।
5️⃣ क्या प्रशासन ने कोई ठोस कानूनी कदम उठाया है?
उत्तर:
प्रशासन ने सिर्फ प्रेस रिलीज़ जारी की है, लेकिन FIR के बावजूद अब तक कोई गिरफ्तारी या पूछताछ की पुष्टि नहीं की गई है।
6️⃣ क्या वीडियो को हटाया गया है?
उत्तर:
नहीं, वीडियो यूट्यूब पर अभी भी मौजूद है और दर्शक इसे देख रहे हैं।
7️⃣ इस विवाद का क्या असर हो सकता है?
उत्तर:
यदि मामले को गंभीरता से लिया गया, तो यह स्वतंत्र पत्रकारिता पर प्रश्नचिन्ह बन सकता है। वहीं, यह बहस भी छिड़ सकती है कि ग्राउंड रिपोर्टिंग की सीमाएं क्या होनी चाहिए।
8️⃣ क्या यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है?
उत्तर:
कुछ हद तक हां। अजीत अंजुम ने सीधे तौर पर एनडीए सरकार पर हमला किया है और इसे ‘राजनीतिक बदले’ की कार्रवाई कहा है।
9️⃣ क्या पत्रकारों को चुनावी रिपोर्टिंग में रोक टोक का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
कई बार स्थानीय प्रशासन या राजनीतिक ताकतें पत्रकारों की रिपोर्टिंग को चुनौती देती हैं, खासकर जब रिपोर्ट सत्ता पक्ष पर सवाल उठाती हो।
🔟 आम जनता को क्या करना चाहिए?
उत्तर:
सभी को तथ्यों के आधार पर राय बनानी चाहिए। किसी भी वायरल वीडियो या आरोप को बिना जांचे परखे सांप्रदायिक या पक्षपाती न मानें।
🧠 निष्कर्ष: सच्चाई बनाम साजिश?
Journalist Ajit Anjum के इस विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है —
क्या आज की पत्रकारिता को सच दिखाने की सज़ा मिलती है?
क्या हर सवाल करने वाला पत्रकार सत्ता के लिए खतरा बन जाता है?
हालांकि, अंतिम निर्णय कानून और जांच पर निर्भर करेगा, लेकिन इतना तो तय है कि अजीत अंजुम का यह मामला पत्रकारिता की स्वतंत्रता बनाम सत्ता की सहनशीलता की बहस को एक नई दिशा दे रहा है।
📣 क्या कहते हैं दर्शक?(Journalist Ajit Anjum)
“हमने वो वीडियो देखा है। कोई भड़काने वाली बात नहीं लगी, बस हकीकत थी।” – यूट्यूब दर्शक की प्रतिक्रिया
“अगर रिपोर्ट झूठी है, तो सरकार को तथ्य सामने रखने चाहिए। FIR ही क्यों?” – ट्वीटर यूज़र