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बिहार की इफ्तार पॉलिटिक्स: lalu vs Nitish Kumar, कौन जीत रहा है मुस्लिम वोटों की जंग?🚀🔥

बिहार की इफ्तार राजनीति: Nitish Kumar vs लालू, मुस्लिम वोटों की जंग!
(विधानसभा चुनाव से पहले ‘रोजेदारों’ की दावत में छिपी सियासी चालें)


Nitish Kumar पटना, 25 मार्च 2025 – बिहार विधानसभा चुनाव की गूँज अब तेज होने लगी है, और इस बार रमजान का पाक महीना सियासत का मैदान बन गया है। मुख्यमंत्री Nitish Kumar और राजद अध्यक्ष लालू यादव दोनों ही ‘इफ्तार पॉलिटिक्स’ के ज़रिए मुस्लिम वोट बैंक को लुभाने में जुटे हैं। जहाँ नीतीश ने रविवार को अपनी दावत में बड़ी संख्या में लोगों को बुलाया, वहीं आज लालू यादव ने अपनी इफ्तार पार्टी के साथ जवाबी हमला बोला है। आइए, समझते हैं क्यों इन दावतों में छिपी है चुनावी जंग की बड़ी रणनीति!


Nitish Kumar

मुख्य बिंदु: क्या है पूरा मामला?

  1. Nitish Kumar का इफ्तार:
    • रविवार को सीएम ने सरकारी आवास पर इफ्तार पार्टी दी, जिसमें 500 से ज़्यादा लोग शामिल हुए।
    • विरोध के बावजूद: कई मुस्लिम संगठनों ने बहिष्कार की अपील की थी, लेकिन बड़ी संख्या में लोग पहुँचे।
    • Nitish Kumar का संदेश: “सबका साथ, सबका विकास” के नारे को फिर से ज़ोर देने की कोशिश।
  2. लालू की जवाबी चाल:
    • आज पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी के आवास पर इफ्तार का आयोजन।
    • लक्ष्य: नीतीश के बहिष्कार करने वाले मुस्लिम नेताओं को अपने पाले में लाना।
    • महागठबंधन की एकता: कांग्रेस के नए अध्यक्ष राजेश राम और प्रभारी कृष्णा अल्लावरू की मौजूदगी पर सबकी नज़र।
  3. कांग्रेस का रुख:
    • अब तक लालू से नहीं मिले कांग्रेस नेता, लेकिन इफ्तार में शिरकत से संकेत मिलेंगे।
    • सवाल: क्या महागठबंधन (राजद+कांग्रेस+लेफ्ट) में दरार आई है?

क्यों अहम है यह इफ्तार पॉलिटिक्स?

  • मुस्लिम वोटरों का महत्व: बिहार की 243 सीटों में 24 पर मुस्लिम समुदाय का फैसला अहम होता है।
  • 2020 के चुनाव का सबक: जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को मुस्लिम वोटों में भारी नुकसान हुआ था।
  • लालू का दांव: 2025 में मुस्लिम वोटरों को वापस लाने की कोशिश, जो 2015 तक राजद के साथ थे।

Also Read: सचिन झा ने क्यों बंद किया Zerodha Nithin Kamath

Nitish Kumar vs लालू: कौन किससे आगे?

पैमाना Nitish Kumar लालू यादव
दावत का स्थल सरकारी आवास (7, कृष्णा मेन रोड) अब्दुल बारी सिद्दीकी का निजी आवास
उपस्थिति 500+ लोग 300+ (अनुमानित)
मुस्लिम संगठन कुछ गुटों ने बहिष्कार किया बहिष्कार करने वाले नेता शामिल होंगे?
राजनीतिक संदेश “सर्वसमावेशक विकास” “सामाजिक न्याय की वापसी”

सियासी गलियारों की चर्चा: क्या कह रहे हैं लोग?

  • जेडीयू नेता: “नीतीश जी ने बिहार में शांति और विकास दिया है। मुस्लिम समाज उनके साथ है।”
  • राजद कार्यकर्ता: “लालू जी की दावत में वो नेता आएँगे जो नीतीश के खिलाफ़ हैं। यही असली जनता की आवाज़ है।”
  • मुस्लिम संगठन प्रमुख: “हमने Nitish Kumar का बहिष्कार किया क्योंकि उन्होंने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा। लालू अब विकल्प हो सकते हैं।”

कांग्रेस की चुप्पी: महागठबंधन में दरार?

  • नई टीम, नई उलझन: कांग्रेस के नए अध्यक्ष राजेश राम और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू अब तक लालू से नहीं मिले।
  • इफ्तार में मिलन?: आज की पार्टी में अगर दोनों नेता शामिल होते हैं, तो गठबंधन मजबूत होने के संकेत मिलेंगे।
  • अनसुलझे सवाल: क्या कांग्रेस, राजद के साथ सीट शेयरिंग को लेकर खुश है?

जनता की राय: सोशल मीडिया पर बहस

  • नीतीश समर्थक:
    “सीएम साहब ने बिहार को बदल दिया। इफ्तार पार्टी में शामिल होकर मुस्लिम भाईयों ने यही संदेश दिया।” – रंजीत, पटना
  • लालू समर्थक:
    “जब Nitish Kumar बीजेपी के साथ थे, तो मुसलमानों को याद नहीं आते थे। अब चुनाव आया, तो दावतें शुरू!” – शाहनवाज़, दरभंगा
  • न्यूट्रल व्यू:
    “दोनों नेता वोटों के लिए रमजान का इस्तेमाल कर रहे हैं। असली मुद्दे पीछे छूट गए।” – प्रियंका, गया

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1: Nitish Kumar की पार्टी का बहिष्कार क्यों हुआ?
A: कुछ मुस्लिम संगठनों को लगता है कि नीतीश ने बीजेपी के साथ गठजोड़ तोड़कर समुदाय को निराश किया।

Q2: लालू ने इफ्तार पार्टी का वेन्यू क्यों बदला?
A: अब्दुल बारी सिद्दीकी को शामिल करके राजद ने पिछड़े मुसलमानों को संदेश देने की कोशिश की है।

Q3: क्या इफ्तार पार्टी से चुनावी समीकरण बदलेंगे?
A: यह निर्भर करेगा कि मुस्लिम वोटर किसे ज़्यादा समर्थन देते हैं। अभी मैदान बराबर है।


आगे क्या? – विश्लेषण

  • नीतीश की चुनौती: बीजेपी से अलग होने के बाद मुस्लिम वोटरों का भरोसा जीतना ज़रूरी।
  • लालू का मौका: 2020 में सिर्फ 75 सीटें जीतने के बाद, वे ‘सामाजिक न्याय’ का नारा लेकर वापसी की कोशिश में हैं।
  • कांग्रेस की भूमिका: अगर कांग्रेस नेता लालू के इफ्तार में नहीं आते हैं, तो गठबंधन में तनाव के संकेत मिलेंगे।

अंतिम बात: बिहार की सियासत में इफ्तार की दावतें सिर्फ़ रोजेदारों के इफ्तारी से नहीं, बल्कि सत्ता की भूख से जुड़ी हैं। नीतीश और लालू दोनों जानते हैं कि 2025 का चुनाव मुस्लिम वोटों के बिना नहीं जीता जा सकता। अब सवाल यह है कि समुदाय का विश्वास कौन जीत पाएगा – “विकास पुरुष” या “सोशल जस्टिस के मसीहा”?

कमेंट कर बताएँ: आपकी नज़र में इफ्तार पॉलिटिक्स का असर चुनाव पर कैसे पड़ेगा? #BiharPolitics #NitishVsLalu #IftarPolitics

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