Jan Ki Khabar

  • Home
  • एजुकेशन
  • Youth Climbs a Top Masood Ghazi Dargah in Prayagraj- फहराया केसरिया झंडा

Youth Climbs a Top Masood Ghazi Dargah in Prayagraj- फहराया केसरिया झंडा

प्रयागराज के बहरिया इलाके में राम नवमी के दिन एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ युवाओं को सय्यद सालार Masood Ghazi Dargah के ऊपर केसरिया झंडे लहराते और नारे लगाते देखा जा सकता है। यह युवा स्वयं को महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच (MSSSM) का कार्यकर्ता बता रहे हैं। इस घटना ने साम्प्रदायिक सौहार्द और ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए, जानते हैं पूरा मामला बिंदुवार:


Masood Ghazi Dargah घटना की मुख्य बातें

  1. कब और कहाँ हुआ?
    • रविवार, 17 मार्च (राम नवमी) को प्रयागराज शहर से लगभग 40 किमी दूर सिकंदर क्षेत्र स्थित Masood Ghazi Dargah पर यह घटना घटी।
    • समय दोपहर करीब 4 बजे का था, जब 20-25 युवाओं का समूह वहाँ पहुँचा।
  2. क्या हुआ?
    • समूह के 4-5 युवाओं ने Masood Ghazi Dargah की दीवारों का सहारा लेकर गेट के ऊपर चढ़ाई की।
    • उन्होंने केसरिया रंग के झंडे फहराए और कुछ नारे लगाए, हालाँकि वीडियो में नारे स्पष्ट सुनाई नहीं दे रहे।
    • पुलिस को सूचना मिलते ही बहरिया थाने की टीम मौके पर पहुँची और स्थिति नियंत्रित की।
  3. कौन हैं ये युवा?
    • समूह का नेतृत्व मनेन्द्र प्रताप सिंह ने किया, जो खुद को इलाहाबाद विश्वविद्यालय का छात्र नेता और करणी सेना का पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बताते हैं।
    • MSSSM ने अपने प्रेस नोट में दावा किया कि यह Masood Ghazi Dargah “अवैध” है और यहाँ लगने वाले साप्ताहिक मेले को बंद कराया जाए।

Masood Ghazi Dargah

प्रशासन और Masood Ghazi Dargah प्रबंधन की प्रतिक्रिया

  • एसीपी पंकज लवानिया ने बताया:
    • “युवाओं ने Masood Ghazi Dargah के गेट पर चढ़कर नारेबाजी की। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर स्थिति संभाली। अब दरगाह के बाहर सुरक्षा बल तैनात हैं।”
  • Masood Ghazi Dargah के देखभालकर्ता सफदर जावेद ने कहा:
    • “यह दरगाह गाजी मियाँ (सालार मसूद) की याद में उनके अनुयायियों द्वारा एक सदी पहले बनाई गई थी। मूल दरगाह बहराइच जिले में है। प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में उनकी स्मृति में छोटी दरगाहें हैं।”

Also Read: Punjab farmer leader Jagjit Singh Dallewal calls

कौन हैं गाजी मियाँ? ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • सय्यद सालार मसूद गाजी 11वीं सदी के एक योद्धा थे, जो महमूद ग़ज़नवी के भतीजे माने जाते हैं।
  • उन्हें हिंदू-मुस्लिम समुदाय दोनों में श्रद्धा प्राप्त है, खासकर उत्तर भारत में। बहराइच की उनकी दरगाह पर हर साल बड़ा उर्स लगता है।
  • विवाद क्यों?
    • कुछ हिंदू संगठन उन्हें “विदेशी आक्रांता” बताते हैं और उनसे जुड़े स्थलों को हटाने की माँग करते हैं।
    • MSSSM का दावा है कि यह दरगाह “कानूनी अनुमति के बिना” बनी है, हालाँकि प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

समाज और राजनीति पर प्रभाव

  1. साम्प्रदायिक तनाव की आशंका
    • ऐसी घटनाएँ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को खतरे में डालती हैं। प्रयागराज पुलिस ने दोनों समुदायों के नेताओं से शांति बनाए रखने की अपील की है।
  2. राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
    • अभी तक किसी बड़े राजनीतिक दल ने सीधा समर्थन या विरोध नहीं जताया है।
    • स्थानीय नागरिक संगठनों ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण की माँग की है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1. महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच (MSSSM) क्या है?

  • यह एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जो महाराजा सुहेलदेव (11वीं सदी के राजा) की विरासत को समर्पित है। वे उन स्थलों के विरोध में अभियान चलाते हैं, जिन्हें “इतिहास के आक्रांताओं का प्रतीक” मानते हैं।

Q2. क्या Masood Ghazi Dargah वास्तव में अवैध है?

  • दरगाह के केयरटेकर के अनुसार, यह 100 साल पुरानी है और स्थानीय लोगों की आस्था से जुड़ी है। अवैध होने का दावा अभी साबित नहीं हुआ।

Q3. पुलिस ने क्या कार्रवाई की?

  • घटना के बाद दरगाह के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया। अभी तक किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।

Q4. गाजी मियाँ को दोनों समुदाय क्यों मानते हैं?

  • मान्यता है कि गाजी मियाँ ने स्थानीय संस्कृति को अपनाया और गरीबों की मदद की। कई जगह उन्हें “बाबा” या “संत” की तरह पूजा जाता है।

Q5. आगे क्या होगा?

  • प्रशासन ने जाँच शुरू की है। MSSSM ने आंदोलन जारी रखने की धमकी दी है, जबकि मुस्लिम संगठन शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।

निष्कर्ष: सभ्यता या राजनीति?

प्रयागराज की यह घटना सिर्फ एक विवाद नहीं, बल्कि भारत की जटिल सांस्कृतिक विरासत और उसके राजनीतिक इस्तेमाल का प्रतीक है। जरूरत इस बात की है कि ऐतिहासिक स्थलों को वर्तमान राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बनाने के बजाय, उन्हें साझा विरासत के रूप में संरक्षित किया जाए। प्रशासन को चाहिए कि वह कानून व्यवस्था कायम रखने के साथ-साथ दोनों समुदायों के बीच संवाद बढ़ाए।

पाठकों से अपील:
इतिहास हमें सिखाता है कि टकराव से कभी समाधान नहीं निकला। आइए, हम अपनी विविधताओं को सहेजें और शांति के साथ आगे बढ़ें।

Releated Posts

West Bengal Merit List 2025 Out Today Check Full Process

West Bengal Merit List 2025: Agar aap West Bengal ke Undergraduate admission ka wait kar rahe the, toh…

ByEr.Wazar HayatAug 7, 2025

Khanapara Teer Result Today – Juwai Teer Updates

Khanapara Teer Result: Agar haan, toh aap sahi jagah par aaye hain! Aaj ke Khanapara Teer Result, Shillong…

ByEr.Wazar HayatAug 7, 2025

Trump Tariffs India: Kya Bharat ke exports pe padega asar?

Trump Tariffs India: Agar aapka maal 50% mehnga ho jaye, to kya koi kharidega?”Ye sawal Congress MP Shashi…

ByEr.Wazar HayatAug 7, 2025

Instagram Reposting: Meta ka Naya Move Ya TikTok Ki Copy?

Instagram Reposting: Meta ne phir se Instagram me naye features launch kiye hain! Reposts, location-sharing map aur naya…

ByEr.Wazar HayatAug 7, 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version