30 साल बाद फिर से रिलीज हो रही ‘अंदाज़ अपना अपना’, लेकिन Aamir Khan की अनुपस्थिति पर मंडराया सन्नाटा
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता Aamir Khan ने अपनी क्लासिक फिल्म ‘अंदाज़ अपना अपना’ की 30वीं वर्षगांठ पर होने वाली स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होने से इनकार कर दिया है। यह फैसला उन्होंने कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। आमिर ने कहा, “मैं इस नृशंस हिंसा से व्यथित हूँ… मेरी मनःस्थिति स्क्रीनिंग में जाने लायक नहीं थी।” इस घटना ने न सिर्फ बॉलीवुड, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया है।
मुख्य बिंदु (Key Highlights):
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पहलगाम हमला: कश्मीर में आतंकी घटना, निर्दोषों की हत्या।
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आमिर खान का फैसला: इमोशनल स्टेट का हवाला देते हुए स्क्रीनिंग छोड़ी।
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शाहरुख खान और अन्य सितारों की प्रतिक्रिया: दुख और एकजुटता का संदेश।
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‘अंदाज़ अपना अपना’ का कल्ट स्टेटस: 1994 में फ्लॉप, आज क्लासिक।

विस्तृत विवरण: क्या हुआ पहलगाम में?
कश्मीर के पहलगाम इलाके में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें कई नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई। यह घटना देशभर में गुस्से और शोक की लहर लेकर आई। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस नृशंसता की निंदा करते हुए पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
Aamir Khan ने क्यों छोड़ी स्क्रीनिंग?
Aamir Khan ने 1994 की अपनी फिल्म ‘अंदाज़ अपना अपना’ के 30 साल पूरे होने पर होने वाली स्पेशल स्क्रीनिंग में शामिल होने से मना कर दिया। उन्होंने एक बयान में कहा:
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“पहलगाम की घटना ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। निर्दोषों की हत्या बर्दाश्त से बाहर है। मैं भावनात्मक रूप से टूटा हुआ हूँ और स्क्रीनिंग में नहीं जा सकता।”
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“राजकुमार सन्तोषी और मैं ही इस फिल्म में विश्वास रखते थे। जब यह फ्लॉप हुई, तो हम दोनों को बहुत दुख हुआ। लेकिन बाद में यह मेरी सबसे बड़ी हिट बनी!”
फिल्म की यादें ताज़ा करते हुए आमिर ने कहा कि वह इस हफ्ते बाद में फिल्म देखेंगे।
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शाहरुख खान और अन्य सितारों की प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले पर बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख ने भी दुख जताया। उन्होंने ट्वीट किया:
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“इस घिनौने हमले पर शब्दों से ज़्यादा दुख और गुस्सा महसूस हो रहा है। ऐसे समय में हम सिर्फ प्रार्थना कर सकते हैं और पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हो सकते हैं।”
अन्य सेलेब्स की प्रतिक्रियाएँ:
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एक फैन: “पहलगाम की घटना ने सबको हिला दिया। मेरी संवेदनाएँ पीड़ितों के परिवार के साथ हैं।”
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दूसरा यूजर: “इस त्रासदी ने दिल दहला दिया। न्याय मिले और देश एकजुट रहे।”
‘अंदाज़ अपना अपना’: फ्लॉप से कल्चरल आइकन तक का सफर
1994 में रिलीज हुई यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई थी, लेकिन टीवी और होम वीडियो के ज़रिए इसने कल्ट स्टेटस हासिल किया। आज यह भारतीय सिनेमा की सबसे मशहूर कॉमेडी फिल्मों में गिनी जाती है।
फिल्म के मज़ेदार फैक्ट्स:
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Aamir Khan और सलमान खान की यह पहली साथी फिल्म थी।
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संजय दत्त और रवीना टंडन को भी रोल ऑफर हुआ था, लेकिन डेट्स की टकराव के कारण वे शामिल नहीं हो सके।
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डायलॉग्स जैसे “तेजा है, मैं हूँ तेजा” और “पैसा फँस गया” आज भी याद किए जाते हैं।
10 FAQs: आपके सवाल, हमारे जवाब
1. Aamir Khan ने स्क्रीनिंग क्यों छोड़ी?
जवाब: पहलगाम हमले में निर्दोषों की मौत से वे भावनात्मक रूप से परेशान थे।
2. ‘अंदाज़ अपना अपना’ कब रिलीज हो रही है?
जवाब: फिल्म 30वीं वर्षगांठ पर 25 सितंबर 2024 को दोबारा सिनेमाघरों में आएगी।
3. शाहरुख खान ने क्या कहा?
जवाब: उन्होंने ट्वीट कर पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना जताई और न्याय की माँग की।
4. 1994 में फिल्म क्यों फ्लॉप हुई?
जवाब: उस समय ऑडियंस को कॉमेडी का यह अंदाज समझ नहीं आया, लेकिन बाद में यह कल्ट बन गई।
5. क्या Aamir Khan और राजकुमार सन्तोषी अब भी संपर्क में हैं?
जवाब: हाँ, दोनों ने बयान में बताया कि फिल्म की सफलता ने उन्हें रिडीम किया।
6. पहलगाम हमले में कितने लोगों की मौत हुई?
जवाब: आधिकारिक रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 नागरिक और 2 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए।
7. क्या फिल्म का कोई सीक्वल आएगा?
जवाब: अभी तक ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई है।
8. शाहरुख और Aamir Khan की फिल्में एक साथ कब देखने मिलेंगी?
जवाब: दोनों ने अभी तक कोई प्रोजेक्ट एक साथ नहीं किया है।
9. ‘अंदाज़ अपना अपना’ के मेमोरेबल डायलॉग कौन-से हैं?
जवाब: “क्राइम मास्टर गोगी”, “पापा की परछाई” और “छोटू, बड़ा कड़वा है!” जैसे डायलॉग्स फेमस हैं।
10. क्या यह फिल्म OTT पर उपलब्ध होगी?
जवाब: सिनेमाघरों के बाद इसे नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम पर रिलीज किया जा सकता है।
निष्कर्ष: ट्रैजेडी और ट्रायम्फ का मिलन
पहलगाम की दर्दनाक घटना और ‘अंदाज़ अपना अपना’ की खुशी के पल एक साथ आए हैं। Aamir Khan का फैसला हमें याद दिलाता है कि मानवीय संवेदनाएँ सेलेब्रिटीज से ऊपर होती हैं। वहीं, 30 साल पुरानी यह फिल्म आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है। ऐसे में, यह समय देश की एकजुटता और कला के स्थायित्व को सलाम करने का है।